Corona Virus: स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन को साथ जोड़कर ही निकलेगा हल

Corona Virus: स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन को साथ जोड़कर ही निकलेगा हल

नरजिस हुसैन

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के अब तक कुल 1,34,000 मामले सामने आ चुके हैं जिसमें 5,000 लोगों की जान जा चुकी है। मरने वालों में ज्यादातर चीन के नागरिक हैं। यह लेख लिखे जाने तक भारत में कुल 83 मामले पक्के पाए गए हैं जिनकी भारत सरकार ने भी पुष्टि की है। यह मामले उत्तर भारत में ज्यादा है। हालांकि, कर्नाटक में एक मौत बुधवार रात को हुई। चीन के वुहान से शुरू हुआ यह जानलेवा वायरस अब दुनिया के 114 देशों तक फैल चुका है और आम लोगों की जीना मुहाल कर दिया है। चीन से फैलता हुआ अब इसका केन्द्र पूरा युरोप बन गया है। भारत में भी यह सार्वजनिक स्वास्थ्य का मुद्दा बन गया है जिसकी तरफ सरकार को फौरन हरकत में आने की जरूरत है। दिसंबर, 2019 से ही चीन में तेजी से फैलने वाले इस वायरस को सरकार को गंभीरता से लेने की जरूरत थी क्योंकि भारत चीन के एकदम पड़ोस में है।

पढ़ें- ऑफिसों में बढ़ रहा है तनाव, क्या बीमार हो रहा है कॉरपोरेट इंडिया?

भारत का सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र पिछले तीन सालों से बदलते मौसम के थपेड़ों में डगमगा रहा है। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि मुसीबत की इस घड़ी में प्राइवेट सेक्टर से सरकार को कहीं भी कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। मई 2019 में ओड़ीशा में फानी तूफान में देश के आपदा प्रबंधन सिस्टम ने 10 लाख प्रभावित लोगों को बचा तो जरूर लिया लेकिन, वे तमाम लोग आज भी बेघर हैं जिनके पास कोई वित्तीय सुरक्षा नहीं है। आज भी उनके पास तूफान के बाद पैदा होने वाली संक्रमण जनित बीमारियों के लिए बेसिक स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं है। इसी तरह 2018 में केरल में जब बाढ़ आई थी तब राज्य में फसलें, पीने के पानी और पूरी कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा था और उस तरफ राज्य सरकार ने ध्यान ही नहीं दिया था इससे खासकर निम्न तबके को हानि पहुंची थी।

मौजूदा कोरोना वायरस और जलवायु परिवर्तन के बीच भारत सरकार को यह सोचना होगा कि क्या इनसे निपटने के लिए हमारे पास सही इंफ्रास्ट्रक्टर है? भारत दुनिया के उन देशों में से एक है जहां जलवायु परिवर्तन का असर सबसे ज्यादा है और अब तो साफ-साफ दिखाई दे रहा है। देश का 70 प्रतिशत आम आदमी आज भी ग्रामीण इलाकों में रहते है और कृषि पर पूरी तरह से निर्भर है जिसपर मौसम और जलवायु का सीधा असर पड़ता है। जलवायु बदलने से आज हमारे जीवन का हर हिस्सा प्रभावित है चाहे वह अर्थव्यवस्था हो या स्वास्थ्य। देश में दरअसल इन सब समस्याओं को अलग-अलग देखने की आदत है। जलवायु परिवर्तन कम करने के लिए हम हमेशा एक को ही जिम्मेदार मानते हैं। स्कूल प्राकृतिक आपदाओं के बारे में तो बात करते हैं लेकिन वह क्यों और कैसे आते है उन्हें कैसा रोका जाए इसपर खास तवज्जो नहीं देते। नेशनल हेल्थ पोर्टल ने पिछले साल एक रिपोर्ट जारी की https://www.nhp.gov.in/health-and-climate-change_pg जिसमें काफी विस्तार से दुनिया में जलवायु परिर्वतन और उसके स्वास्थ्य पर होने वाले असर के बारे में बताया गया और साफतौर से कहा गया है कि जितनी जल्दी हो सके हमें अपनी जीवनशैली बदलनी होगी।

पढ़ें- हर 10 में से एक व्यक्ति को अपने जीवन में कैंसर होने की संभावना: डब्ल्यूएचओ

इस स्वास्थ्य संकट से बचने के लिए जो लोग सत्ता में है उन्ंहे यह समझना होगा कि जलवायु परिवर्तन में हर एक कड़ी आपस में जुड़ी हुई है। स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर ऐसे फैसले लेने चाहिए जो एक-दूसरे पर सकारात्मक असर डालें न कि एक-दूसरे से अलग-थलग हो। लेकिन, अफसोस की बात यह है कि भारत में हर एक कड़ी को अलग देखा जाता है इसकी एक अच्छी मिसाल है बजट में हर क्षेत्र में पैसे का बंटवारा। बजट को ध्यान से देखने पर सरकार की नीति और उसकी मंशा दोनों का ही अच्छा अंदाज हो जाता है।

भारत में स्वास्थ्य सुविधाएं प्राइवेट सेक्टर के कंधों पर हैं जिन्होंने इस सेक्टर को मुनाफा कमाने का जरिया बना दिया है। वलर्ड बैंक की भी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में भारत में स्वास्थ्य पर सरकार पूरे जीडीपी का सिर्फ एक प्रतिशत ही खर्च करती है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में जितना प्राइवेट सेक्टर पैसा कमाएगा उतना आम आदमी का नुकसान और सरकार को टैक्स के रूप में मुनाफा होगा। इससे सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सब्सिडी कम देगी और इमर्जेंसी के वक्त 20 फीसद जनता जो सब्सिडी पर निर्भर करती है वे सुविधाओं से महरूम रहेगी। जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य सुविधाएं को सरकार को जोड़कर देखना ही होगा। क्योंकि पिछले कुछ सालों से दोनों ही एक-दूसरे को लगातार प्रभावित कर रहे हैं। अब भी सरकार अगर दोनों को अलग-अलग देखेगी और मुसीबत का अलग-अलग हल ढूंढेगी तो शायद बहुत देर हो जाएगी।

 

इसे भी पढ़ें-

किशोरों को ध्यान में रखकर बनानी होंगी मानसिक स्वास्थ्य नीतियां

कोरोना वायरस: कैसे और कितना प्रभावित होता है हमारा शरीर?

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।